तालीमी शोबे (शैक्षिक विभाग)

तालीमी शोबे (शैक्षिक विभाग)
1. शोबा अ़रबी व तकमीलात
2. शोबा तजवीद व क़िराअत
3. शोबा तह़फ़ीजु़ल क़ुरआन
4. शोबा दीनयात उर्दू व फ़ारसी
5. शोबा किताबत (सुलेख)
6. कम्प्यूटर विभाग
7. अंगे्रज़ी विभाग
8. दारूस्सनाए़ (दस्त कारी का विभाग)
तअ़लीमात (शिक्षा विभाग)
एहतमाम के बाद यह शोबा मुख्य है। इस विभाग का आरम्भ एक उस्ताद और एक शागिर्द से हुवा था। इस के पश्चात ही से दारुल उ़लूम का हर क़दम लगातार उन्नति की तरफ बढ़ रहा है। अब यह विभाग अपने आधीन अनेक उप विभाग चला रहा है। तअ़लीमात के कामों में उपरयुक्त तमाम शोबों की निगरानी के साथ, असबाक़ की तक़सीम, प्ररीक्षा प्रबन्ध, विद्यार्थियों की पदोन्नति प्रवेश आदि से सम्बन्धित कार्यवाही, ह़ाज़री (उपस्थिति) लेना आदि शमिल हंै। शिक्षा के रिकार्ड की सुरक्षा, सनदंे (प्रमाण पत्र) जारी करना और तअ़लीमी कमेटी के सुझाव को लागू करना आदि कार्य भी तअ़लीमात के आधीन आते हैं।
तअ़लीमात के उप विभाग यह हैं:-
(1) शोबा अ़रबी व तकमील
इस विभाग में अव्वल अ़रबी से लेकर दौरह ह़दीस और तकमीलात (तकमील-ए-तफ़्सीर, तकमील-ए-उ़लूम, तकमील-ए-इफ़ता आदि) तक की तअ़लीम का प्रबन्ध है।
(2) शोबा तजवीद व क़िराअत
इस विभाग में हफ़़स उर्दू और ह़़फस अ़रबी और सबअ़ा व अश्रह की मुकम्मल तअ़लीम के साथ अ़रबी की तमाम दर्जाें के विद्यार्थियों के लिये क़िराअत का ज़रूरी अभ्यास कराया जाता है।
(3) शोबा तह़फ़ीजु़ल क़ुरआन
इस शोबे में हिफ़़ज़-ए-क़ुरआन का उचित प्रबन्ध है। इस की तमाम दरसगाहें मदरसा सानिवियह में हैं और इस की एक अलग बिलडिंग है।
(4) शोबा दीनयात उर्दू व फ़ारसी
इस शोबे में, नाज़रह क़ुरआन और दीनयात के अ़लावह उर्दू व फ़ारसी, हिन्दी, अंग्रेज़ी, भुगोल और हि़साब (गणित) की बाक़ायदा शिक्षा दी जाती है। न विषयों के साथ, चैथे और पांचवें साल में इफ़ारसी भी पढ़ाई जाती है।
(5) शोबा किताबत (सुलेख)
इस शोबे में विद्यार्थियों को किताबत (सुलेख) की बाक़ायदा शिक्षा दी जाती है। इस के अ़लावह अ़रबी व तजवीद आदि की विभिन्न जामातों के विद्यार्थियों के लिये भी किताबत की शिक्षा का घंटेवार प्रबन्ध है।
(6) कम्प्यूटर विभाग
आज के उन्नतिशील युग में कम्प्यूटर मानव जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है। इस से विद्यार्थियों को जानकारी कराना न केवल आवश्यक है बल्कि वर्तमान समय की सख्त ज़रूरत भी है। चूंकि कम्प्यूटर, दीनी तअ़लीमी और तबलीगी़ कामों में सहायक होने के साथ लेखन का कार्य भी बहुत अच्छी प्रकार बड़ी तेज़ी से कर सकते हैं, इस लिये दारुल उ़लूम ने इस की उपयोगिता का अनुभव किया और इस विभाग को स्थापित किया जिस में नियमानुसार दाख़ला देकर कम्प्यूटर की टेªनिंग दी जाती है। इस विभाग की स्थापना 1417/1996 में की गयी।
कम्प्यूटर सिखाने के लिये प्रति वर्ष दारुल उ़लूम से फ़ारिग़ कुछ विद्यार्थीयों को प्रवेश दिया जाता है। एक साल की मुद्दत में उन को विभिन्न प्रोग्रामों की शिक्षा दी जाती है। इस के बाद सालाना इम्तिह़ान में सफलता पाने पर उन को डिप्लोमा का सर्टीफ़िकेट दिया जाता है ताकि रोज़गार के अवसर तलाश करने में सुविधा प्राप्त हो।
(7) अंगे्रज़ी विभाग
धार्मिक प्रचार और प्रसार को ध्यान में रखकर अंग्रेज़ी भाषा की उपयोगिता से इन्कार नहीं किया जा सकता। अंग्रेज़ी अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है और अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया के साथ-साथ इस की उपयोगिता भी बढ़ गयी है। ऐसी दशा में यह अनुभव किया जा रहा है कि विद्यार्थियों को अंग्रेज़ी भाषा भी सिखाइ जाये। इसी ज़रूरत को सामने रखते हूए दारुल उ़लूम ने 1423/2002 यह विभाग स्थापित किया। इस विभाग में दारुल उ़लूम से फारिग होने वाले विद्यार्थियों को दाखि़ला दिया जाता है। दो साल का कोर्स है। उर्दू अ़रबी के अंग्रेज़ी में अनुवाद और स्पीकिंग पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पढ़ते समय छात्रों की इस्लामी शक्ल व सूरत और दीनी विचार बनाये रखने पर विशेष ज़ोर दिया जाता है।
(8) दारूस्सनाए़ (दस्तकारी का विभाग)
शिक्षा के साथ विद्यार्थियों के आर्थिक समस्य के ह़ल के लिये 1945 में यह विभाग स्थापित हुवा था। दर्जी़ में कुर्ता पायजामा और सदरी की कटिंग व सिलाई और शेरवानी की कटिंग एक साल में सिखाई जाती है। इस शोबे में कुछ विद्यार्थी तो बाक़ायदा प्रवेश लेकर दर्जी का काम सीखते हैं, जब कि कुछ विद्यार्थी ख़ारिज (एक्स्टरा) टाइम में लाभ प्राप्त करते हैं।